आपका शिशु – ईश्वर का वरदान

परिवार में आया नव शिशु परिवार के लिए ईश्वर का वरदान है।शिशु को उठा कर अपनी बाँहों मे लें – एक दैविक अनुभूति होती है। साथ ही इक्छा जागृत होती है शिशु के लिए कुछ अच्छा करने की। अब शिशु आपके पास है। उसको पाल कर बड़ा करने की जिम्मेदारी का अनुबोध भी है। यह जिम्मेदारी आसान भी नहीं। परन्तु कठिन भी नहीं। बढ़ता शिशु प्रत्येक दिन एक नयी हलचल के साथ एक नयी खुशी भी देगा। 

 

एक सामान्य शिशु काफी मज़बूत होता है, कुछ कोमलता के साथ। उसकी जरूरते बहुत सीमित होती हैं। प्यार , स्नेह , निरंतर उपलब्ध माँ का दूध , सुरक्षा , रहने वाली जगह का उचित ताप मान – २७ डिग्री के आस पास , छोटा सा अपना बिछौना, सफाई , संक्रमण से सुरक्षा और मित्रवत और शांत वातावरण। वही सब जो उसको माँ के गर्भ में मिल रहा था। 

विश्वास करिये यह सब आपके पास है – ईश्वर ने आपको दे रक्खा है। परिवार के बड़ो की राय और अन्य सदस्यों की मदद से शिशु की इन जरूरत को पूरा करें। 

कभी किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का सामना करना पड़े तो प्रशिक्षित चिकित्स्क की मदद लें – अप्रशिक्षित दाई या मित्र या गूगल/यू-ट्यूब की राय से दूर रहें। यह निर्मूल राय आपकी परेशानी बढ़ाएगी। टीवी के इश्तेहारो से भी शिशु के पालन के तरीके ना सीखें।