जाड़ों में अपने बच्चों के कमरे का तापमान कैसे नियंत्रित करे, आइये जानते है —
 
जाड़ों में कमरे को गरम रखने के साथ साथ नम रखना भी आवश्यक है क्योंकि जाड़े में हवा खुष्क हो जाती है। हीटर इत्यादि चलने से कमरे की खुष्की और बढ़ जाती है,जिससे बच्चे की सांस नली पर असर पड़ता है, जिससे बच्चो में सर्दी,खाँसी और यहाँ तक की निमोनिया का होने का खतरा भी बढ़ जाता है और त्वचा भी चटकने लगती है। कमरे को गरम और नम रखने के लिए निम्नलिखित प्रयोग किये जा सकते हैं।
 
  1. कमरे को गरम रखने के लिए एक सिंगल रॉड वाला हीटर ख़रीद लें साथ ही एक रूम हुमिडिफिएर(humidifier) और एक रूम थर्मामीटर(thermometer) खरीद लें।
  2. आधुनिक रूम थर्मामीटर के साथ कमरे की नमी को नापने वाला hygrometer भी सम्मिलित होता है। ये सभी उपकरण flipkart और amazon पर आसानी से उपलब्ध हैं।
  3. कमरे का तापमान 25° से 26 ° सेंटीग्रेट होना चाहिए। कमरे की आद्रता (humidity) 65% से 75% होनी चाहिए।
  4. अगर बिजली न हो तो बच्चे के बिस्तर पर गुनगुने पानी की बोतल भी रख सकते हैं।
    5.अगर कमरे का तापमान उचित है तो बच्चे को अधिक कपड़ों को आवश्यता भी नहीं होती है।

जाड़ों में कैसे करे अपने बच्चों के कपड़ो का चुनाव—

जाड़ों में कपड़ो का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए—

  1. एक्रिलिक के बने कपडे न लें ये आकर्षक तो दिखते है, परन्तु गर्म नहीं होते, इसीलिए सदैव रुई या फैदर की स्टफिंग से बने या प्योर वूल के कपडे ही ख़रीदे। प्योर वूल की पहचान कपडे में बने वूल मार्क से होती है।
  2. अपने बच्चो को अंदर सिर्फ कॉटन के ही कपडे पहनाये ये बच्चे को आराम देते है।
  3. बच्चो को कॉटन की मोटी परत के कपडे पहना कर ऊपर से प्योर वूल के कपडे पहना सकते है।
  4. इनर का प्रयोग कदापि न करे इनसे बच्चों में एलर्जी होती है।क्योंकि इनर में सिंथैटिक सामग्री या ऊन की न्यूनतम मात्रा होती है।

        और हाँ बच्चो के शरीर में हल्का सा सरसों का तेल चुपड़ दें इससे बच्चे के शरीर को गर्माहट मिलेगी। बच्चों के सिर का साइज उनके शरीर के अनुपात में बड़ा होता है उसको ढक कर रखने से भी जाड़े से काफी बचत होती है। बच्चों को गर्म रहने के लिए कुछ अधिक ऊर्जा की भी आवश्कता होती है। मेवा से एक स्वास्थ्य कर फूड कैलोरी मिलती है। बड़े बच्चों को मेवा देना श्रेयस्कर होगा।

 

                                    जाड़े के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और यहाँ तक कि निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। इस निमोनिया का कारण वायरस और बैक्टीरिया का इन्फेक्शन दोनों ही हो सकते है। बच्चों को अधिक समय तक बन्द, गर्म और ओवर क्राउडेड (Over Crowded) कमरों में रखने से वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण लग सकते है। इसके बचाव के लिए दिन के समय घरों के दरवाजे खुले रखे जा सकते हैं जिससे कि ताजी हवा घर के अन्दर आ सके। खुली हवा और धूप दोनों ही घर के अन्दर के संक्रमण को खत्म करने में सहायक होती है। थोड़े बहुत सर्दी, जुकाम के लिये दवाइयाँ सहायक नहीं होतीं बल्कि ऐसे में बिजली की केतली की सहायता से दिन में तीन चार बार बच्चे को भाप देना उचित होगा। भाप सादे पानी की ही लें उसमें कोई दवा न डालें। दवाइयों से एलर्जी बढ़ने का खतरा होता है।
जाड़ों में अक्सर बच्चे वायरल डायरिया से भी ग्रसित हो सकते है। इसका अन्य कारणों के साथ-साथ जाड़े में हाथ या बर्तनों को ठीक से न धोना भी हो सकता है। जाड़े में साबुन से हाथ धोने का आलस न करें या फिर हैन्ड सेनीटाइज़र का प्रयोग करे। हैन्ड सेनीटाइजर सूखे हाथों पर ही लगायें और लगाने के बाद ठीक प्रकार से दोनों हाथों को आपस में रगड़ लें। हैन्ड सेनीटाइजर का प्रयोग एक प्रभावी उपाय है।
जाड़े में त्वचा के ऊपर कोई नेचुरल तेल जैसे कि तिल, सरसों या नारियल का या फिर वैसलीन अथवा क्रीम अवश्य लगाये। जाड़े के खुस्क मौसम में जब त्वचा की नमी Evaporate होती है तो शरीर का तापमान कम होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रक्रियायें (immune system) शिथिल होने लगती है। शरीर पर तैलीय पदार्थ लगाने से त्वचा भी सुरक्षित रहती है और त्वचा की नमी Evaporate न होने से शरीर गर्म भी रहता है। शरीर गर्म रहने से (immune system) ठीक से कार्य करता रहता है और रोगों से लड़ने की क्षमता शिथिल नहीं होती है।

कैसे बचें गर्मी की बीमारीयों से

गर्मी की शुरुआत हो गई है और साथ ही गर्मी में होने वाली बीमारियां भी अपना चेहरा दिखाने लगी हैं| गर्मी की बीमारियां वायरस और बैक्टीरिया दोनों ही कर सकते हैं| वायरस और बैक्टीरिया ठण्ड के मौसम में कम तापमान होने की वजह से सुप्तावस्था में चले जाते हैं और गर्मी शुरू होते ही पनपने लगते हैं| ये खाने पीने की चीजों में ज्यादा पनपते हैं और साथ साथ उसमें टाकसिन छोड़ते हैं| ये दूषित खाना जिसमें कि बैक्टीरिया और वायरस पनप चुके होते हैं, हम खाते ही बीमार पड़ जाते हैं| गर्मियों की मुख्य बीमारियां होती हैं, उल्टी, दस्त, जौंडिस (Jaundish), टाइफाइड, वायरस फीवर इत्यादि| बरसात शुरू होते ही मच्छर, मक्खी पनपने लगते हैं जिससे मलेरिया और डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है|

आईये समझें संछिप्त में कैसे गर्मी कीबीमारियों से बचें| गर्मी की ज्यादातर बीमारियां खाने पीने की चीजों की वजह से होती हैं| इसलिए खाने पीने के एतिहात से ही उनसे बचा जा सकता है| पानी उबला पीयें| RO, Aquaguard filter ये बेकार हैं इसका कोई इस्तेमाल नहीं हैं| रात को फैमिली के साइज़ के अनुसार पानी उबालें और पानी को ठंडा करके सुबह हल्के कपड़े से छान लें और उसको फ्रिज में रख दें या फिर एक बोतल फ्रिज में और एक बोतल बाहर रख दें और बाद में मिलाकर पियें, शीतलता भी मिलेगी और पानी भी वायरस और बैक्टीरिया रहित मिलेगा| बाहर का खाना न खाएं क्योंकि बाहर जो भी व्यक्ति खाना बना रहा है उसकी हाइजीन पर हमारा कोई भी जोर नही है| हमारी कानून व्यवस्था भी उसे कन्ट्रोल नहीं कर पाती है| गंदे हाथों से पकाये गये खाने में बैक्टीरिया पनपेगा, कई घंटों का रखा हुआ खाना वो आपको सर्व करेंगे वह वायरस और बैक्टीरिया से दूषित हो चुका होता है और साथ ही दावत और शादी के खाने में भी यही हाल होता है| इसलिए शादी और दावत के खाने से भी परहेज करें| घर का बना ताज़ा खाना खाएं| खाना बने तो एक घंटे के अन्दर ही खा लिया जाए|

राय तो यह है कि बचा हुआ खाना फ्रिज में न रखें, फ्रिज में रख कर दूसरे दिन खाने से हम बीमार पड़ जाते हैं क्योंकि बिजली आंख मिचौली खेलती है और गर्मियों में हम लोगों को पानी के लिए फ्रिज बार बार खोलना पड़ता है तो ये खाना भी वायरस और बैक्टीरिया से दूषित हो जाता है| संछिप्त में हाथ धोये बार बार, हेल्थ हाईजीन का ख्याल रखें, खाना ताज़ा खाएं और पानी उबला पियें| गर्मी की इन बीमारियों से आप सुरक्षित रहेंगे|

15 अक्टूबर से 15 फ़रवरी तक आप बाहर का कुछ खा सकते हैं| उसके बाद आप बाहर का कुछ न खाएं, और खाना ताज़ा खाएं| टीकों से भी कुछ बीमारियों से बचा जा सकता है|  जैसे टाइफाइड का एक नया टीका आया है जो कि एक टीका और ६ महीने में दूसरा टीका लगवाने से टाइफाइड से बचत हो सकती है| ये टीका जरुर लगवाएं|

लू लगना – जब हम तेज धूप में निकलते हैं तो हमारा शरीर गर्म हो जाता है जिससे हमारे फेफड़े और त्वचा तेजी से वाष्प छोड़ते हैं जिसके कारण हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है और हमारा thermostat (थर्मोस्टेट) बिगड़ जाता है और बुखार आता है जिसे हम लू लगना कहते हैं| तेज गर्मी में बाहर न निकलना ही उचित रहेगा|

गर्मी के कपड़े – गर्मियों में हल्के सूती (pure cotton) कपड़े, हल्के रंग के कपडे पहने| मोटे सिन्थेटिक कपड़े और जींस इत्यादि पहनने से शरीर से पसीना वाष्पित नहीं हो पाता है और शरीर को ठंडा करने की प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है – इससे भी अस्वस्थता का भान होता है|